क्या है मकर संक्रांति का महत्व और भारत में इसे कैसे मनाया जाता है?
मकर संक्रांति भारत का प्रमुख पर्व है, जो सूर्य के मकर राशि में प्रवेश और ऋतु परिवर्तन का प्रतीक है। जानिए इसकी धार्मिक, सांस्कृतिक और क्षेत्रीय मान्यताएं, साथ ही इसे देशभर में मनाने के अनोखे तरीकों के बारे में।

क्या है मकर संक्रांति का महत्व?
भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक, मकर संक्रांति, न केवल धार्मिक और खगोलशास्त्रीय महत्व रखता है, बल्कि इसे सामाजिक और सांस्कृतिक परंपराओं का संगम भी माना जाता है। यह त्योहार सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का प्रतीक है, जिसे खगोलशास्त्र में 'उत्तरायण' कहा जाता है। इस दिन से दिन लंबे और रातें छोटी होने लगती हैं, जो नए जीवन और सकारात्मकता का प्रतीक है।
फसल पर्व का आनंद
मकर संक्रांति को फसल उत्सव के रूप में भी जाना जाता है। रबी की फसलों की कटाई के बाद किसान इस त्योहार को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। यह समय प्रकृति और उसकी संपन्नता के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का है। तिल और गुड़ से बनी मिठाइयां न केवल मिठास बांटती हैं, बल्कि यह त्योहार आपसी भाईचारे का भी संदेश देता है।
भारत के विभिन्न हिस्सों में मकर संक्रांति कैसे मनाई जाती है?
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महाराष्ट्र:
यहां लोग तिल गुड़ की मिठाइयां बांटते हुए कहते हैं, “तिल गुड़ घ्या, गोड गोड बोला।” पतंगबाजी का भी इस दिन विशेष महत्व है। -
पंजाब (लोहड़ी):
लोहड़ी के रूप में मनाया जाने वाला यह पर्व, फसल कटाई की खुशी का प्रतीक है। लोग आग के चारों ओर नाच-गाना करते हैं और गुड़, मूंगफली व रेवड़ी खाते हैं। -
तमिलनाडु (पोंगल):
पोंगल नामक खीर बनाकर सूर्य भगवान को चढ़ाई जाती है। रंगोली (कोलम) और सांस्कृतिक नृत्य इस पर्व की शोभा बढ़ाते हैं। -
गुजरात (उत्तरायण):
गुजरात में पतंगबाजी के महोत्सव 'उत्तरायण' का आयोजन होता है। रंग-बिरंगी पतंगें आसमान में उत्सव का रंग भरती हैं। -
बिहार और उत्तर प्रदेश:
यहां गंगा, यमुना जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है। तिलकुट और लड्डू जैसे पारंपरिक व्यंजन त्योहार की मिठास बढ़ाते हैं। -
ओडिशा (मकर मेला):
मेले और पारंपरिक खेलों के साथ लोग यहां मकर संक्रांति का उत्सव मनाते हैं।
धार्मिक महत्व
मकर संक्रांति का आध्यात्मिक महत्व भी गहरा है। लोग मानते हैं कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है। सूर्य उपासना और दान-पुण्य का इस दिन विशेष महत्व है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह दिन भगवान विष्णु द्वारा असुरों के अंत का प्रतीक भी है।
खगोलशास्त्रीय दृष्टिकोण
मकर संक्रांति को वैज्ञानिक दृष्टि से भी खास माना गया है। इस दिन सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होता है, जो पृथ्वी के झुकाव और सूर्य की स्थिति में बदलाव का संकेत है। इसे उत्तरायण कहा जाता है, जो शुभ कार्यों की शुरुआत के लिए सबसे अच्छा समय माना जाता है।
समाज और परिवार का मेल
मकर संक्रांति पर लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर उत्सव मनाते हैं। यह समय केवल भोजन का नहीं, बल्कि रिश्तों की मिठास बांटने का है। तिल-गुड़ के लड्डू सांस्कृतिक रूप से मिठास और आपसी मेलजोल का प्रतीक हैं।
पतंगबाजी: आनंद और प्रतिस्पर्धा
मकर संक्रांति के दौरान पतंग उड़ाना न केवल मनोरंजन का साधन है, बल्कि यह आजादी और खुशी का प्रतीक है। विभिन्न राज्यों में पतंग उड़ाने की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं।
मकर संक्रांति 2024: नया जोश और उम्मीदें
इस साल, मकर संक्रांति को और भी भव्य तरीके से मनाने की तैयारी हो रही है। सामाजिक मेलजोल और परंपराओं के साथ यह पर्व नई उम्मीदों और सकारात्मक ऊर्जा का संदेश देगा।
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