क्या कश्मीर का चेनाब रेल ब्रिज भारत का सबसे बड़ा चमत्कार है?
जानिए कश्मीर के चेनाब रेल ब्रिज के बारे में, जो आइफेल टॉवर से भी ऊंचा है। 1,486 करोड़ की लागत से बने इस ब्रिज पर पहली बार दौड़ी बंदे भारत ट्रेन।

मुख्य खबर:
कश्मीर के चेनाब रेल ब्रिज ने एक बार फिर भारत को गौरवान्वित किया है। आइफेल टॉवर से भी ऊंचा यह ब्रिज, 1,486 करोड़ की लागत से तैयार किया गया है। इस ब्रिज पर पहली बार बंदे भारत ट्रेन दौड़ी है, जो एक ऐतिहासिक पल बन गया। आइए, इस ब्रिज और इसके महत्व को विस्तार से जानते हैं।
चेनाब ब्रिज की मुख्य विशेषताएँ:
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लंबाई और ऊंचाई:
यह ब्रिज 1,315 मीटर लंबा और 359 मीटर ऊंचा है, जो पेरिस के आइफेल टॉवर (324 मीटर) से भी ऊंचा है। -
निर्माण में इस्तेमाल तकनीक:
भूकंप-रोधी तकनीकों का उपयोग किया गया है। 266 किमी/घंटा की गति वाली हवाओं का भी यह ब्रिज सामना कर सकता है। -
निर्माण सामग्री:
ब्रिज के निर्माण में 25,000 टन से अधिक स्टील का इस्तेमाल किया गया है। -
खर्च और समय:
निर्माण कार्य 2004 से 2020 तक चला और इसकी कुल लागत 1,486 करोड़ रुपये रही। -
रेलवे नेटवर्क में योगदान:
यह ब्रिज उधमपुर, श्रीनगर और बारामुल्ला को जोड़ता है और कश्मीर को भारत के बाकी हिस्सों से जोड़ने में अहम भूमिका निभा रहा है।
बंदे भारत ट्रेन का परीक्षण:
27 जनवरी 2025 को, पहली बार बंदे भारत ट्रेन इस ब्रिज के ऊपर से गुजरी। यह ट्रेन माता वैष्णो देवी के कटरा स्टेशन से श्रीनगर तक गई। इस ट्रेन ने 190 किमी की दूरी मात्र 3 घंटे में तय की, जो रेलवे के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।
कश्मीर के लिए क्या है महत्व?
चेनाब ब्रिज सिर्फ एक इंजीनियरिंग चमत्कार नहीं, बल्कि कश्मीर में पर्यटन, व्यापार और परिवहन को बढ़ावा देने वाला एक साधन है। इससे न केवल कश्मीर का संपर्क बढ़ा है, बल्कि यह भारतीय रेलवे की ताकत और आधुनिकता को भी दर्शाता है।
निष्कर्ष:
चेनाब रेल ब्रिज न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व के लिए एक मिसाल है। यह ब्रिज भारत की तकनीकी प्रगति और इंजीनियरिंग क्षमता का प्रमाण है।
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