ब्रह्मपुत्र नदी के नीचे भारत की पहली चार-लेन सुरंग: असम में कनेक्टिविटी और सामरिक मजबूती का नया अध्याय?

असम में ब्रह्मपुत्र नदी के नीचे भारत की पहली चार-लेन सुरंग का निर्माण प्रस्तावित है, जो नुमालीगढ़ और गोहपुर को जोड़ेगी। यह परियोजना क्षेत्र की कनेक्टिविटी और सामरिक मजबूती में कैसे योगदान देगी?

Mar 23, 2025 - 16:03
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ब्रह्मपुत्र नदी के नीचे भारत की पहली चार-लेन सुरंग: असम में कनेक्टिविटी और सामरिक मजबूती का नया अध्याय?
ब्रह्मपुत्र नदी के नीचे प्रस्तावित चार-लेन सुरंग का एक सजीव चित्रण, जिसमें सुरंग के माध्यम से गुजरते वाहनों और नदी के ऊपर के दृश्य को दर्शाया गया है।

भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम में ब्रह्मपुत्र नदी के नीचे देश की पहली चार-लेन वाली सड़क सुरंग का निर्माण प्रस्तावित है, जो गुवाहाटी के नुमालीगढ़ और गोहपुर को जोड़ेगी। यह परियोजना न केवल क्षेत्र की कनेक्टिविटी में सुधार करेगी, बल्कि सामरिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण साबित होगी।

परियोजना की प्रमुख विशेषताएं:

  • स्थिति: ब्रह्मपुत्र नदी के नीचे, नुमालीगढ़ और गोहपुर के बीच।

  • लंबाई: लगभग 15.6 किलोमीटर।

  • लेन संख्या: चार लेन, जिससे यातायात तेज और सुरक्षित होगा।

  • अनुमानित लागत: लगभग 12,807 करोड़ रुपये।

परियोजना का उद्देश्य:

  • नुमालीगढ़ और गोहपुर के बीच सीधी और सुरक्षित कनेक्टिविटी प्रदान करना।

  • पूर्वोत्तर भारत के परिवहन नेटवर्क को सुदृढ़ करना।

  • क्षेत्र में व्यापार, पर्यटन और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देना।

सामरिक महत्व:

यह सुरंग सामरिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। अरुणाचल प्रदेश की चीन के साथ लगी सीमा तक सैन्य वाहनों और रसद की तेज पहुंच सुनिश्चित होगी, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूती मिलेगी। इसके अलावा, सुरंग का निर्माण चीन द्वारा ब्रह्मपुत्र नदी पर बांध निर्माण के संभावित प्रभावों को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा है, जिससे भारत के जल संसाधनों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभाव:

सुरंग निर्माण से काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, क्योंकि वर्तमान में ब्रह्मपुत्र नदी पार करने के लिए उपयोग होने वाले मार्ग उद्यान के पास से गुजरते हैं, जिससे वन्यजीवों को खतरा होता है। सुरंग के माध्यम से यातायात को डायवर्ट करने से वन्यजीव संरक्षण में सहायता मिलेगी।

तकनीकी चुनौतियाँ और समाधान:

ब्रह्मपुत्र नदी के नीचे सुरंग निर्माण तकनीकी दृष्टिकोण से चुनौतीपूर्ण है। नदी की गहराई, मिट्टी की संरचना और जल प्रवाह को ध्यान में रखते हुए उन्नत तकनीकों का उपयोग किया जाएगा। सुरंग बोरिंग मशीनों (टीबीएम) का उपयोग करके सुरंग निर्माण किया जाएगा, जिससे निर्माण की गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित होगी।

परियोजना की वर्तमान स्थिति:

सरकारी सूत्रों के अनुसार, परियोजना की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की जा चुकी है, और निर्माण कार्य शीघ्र ही शुरू होने की संभावना है। परियोजना की निविदाएं जुलाई 2023 में जारी की गई थीं, और निर्माण कार्य जल्द ही शुरू होने की उम्मीद है।

निष्कर्ष:

ब्रह्मपुत्र नदी के नीचे प्रस्तावित यह चार-लेन सुरंग असम और पूर्वोत्तर भारत के लिए एक गेम चेंजर साबित हो सकती है। यह परियोजना न केवल क्षेत्र की कनेक्टिविटी में सुधार करेगी, बल्कि आर्थिक, सामाजिक और सामरिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण लाभ प्रदान करेगी। पर्यावरण संरक्षण, तकनीकी नवाचार और राष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में यह सुरंग एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर होगी।

आपकी राय:

क्या आपको लगता है कि यह परियोजना असम और पूर्वोत्तर भारत के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी? क्या सुरंग निर्माण से क्षेत्र में आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन आएंगे? कृपया अपनी राय कमेंट में साझा करें।

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