क्या बंगाल के शिक्षा घोटाले में बड़े नेताओं के नाम जुड़े हैं? CBI को बस्तों में मिली अहम सिफारिशी चिट्ठियां!
पश्चिम बंगाल के शिक्षा घोटाले में CBI ने विकाश भवन के गोडाउन से 30 बस्तों में भरकर रखी गई सिफारिशी चिट्ठियां बरामद की हैं। क्या इसमें बड़े नेताओं के नाम जुड़े हैं? जानिए पूरी रिपोर्ट।

क्या बंगाल के शिक्षा घोटाले में बड़े नेताओं के नाम जुड़े हैं? CBI को बस्तों में मिली अहम सिफारिशी चिट्ठियां!
पश्चिम बंगाल में शिक्षा घोटाले की परतें लगातार खुलती जा रही हैं। CBI ने हाल ही में विकाश भवन के गोडाउन में छापा मारकर 30 बस्तों में भरे सिफारिशी पत्र बरामद किए हैं। दावा किया जा रहा है कि इनमें प्रभावशाली सांसदों और विधायकों द्वारा की गई सिफारिशें शामिल हैं, जिनके आधार पर अवैध भर्तियां की गई थीं।
CBI अधिकारियों के मुताबिक, ये छापेमारी कोलकाता हाईकोर्ट के आदेश के बाद की गई। शुरुआती जांच में सामने आया कि इन दस्तावेजों में सैकड़ों ऐसे अभ्यर्थियों की जानकारी है, जिन्हें राजनीतिक सिफारिशों के आधार पर नौकरी दी गई थी। इसमें पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी और शिक्षा विभाग के कुछ अधिकारी भी संलिप्त हो सकते हैं।
कैसे हुआ घोटाले का पर्दाफाश?
सूत्रों के अनुसार, जब CBI टीम विकाश भवन पहुंची, तो वहां 500-600 बस्तों में भरे दस्तावेज मौजूद थे। पहले तो जांचकर्ताओं को लगा कि ये एक असंभव कार्य है, लेकिन उन्होंने ध्यान दिया कि 30 बस्तों को अलग किनारे पर रखा गया था। जब इन बस्तों को खंगाला गया, तो सामने आया कि इनमें से कई दस्तावेजों में सांसदों और विधायकों के हस्ताक्षरित सिफारिशी पत्र मौजूद थे।
CBI के एक अधिकारी के मुताबिक, "हमारे पास इसे सुई की तरह ढूंढने का कोई तरीका नहीं था, लेकिन जिस तरह से 30 बस्तों को अलग रखा गया था, उसने शक पैदा कर दिया।"
सिफारिशी पत्रों में किन लोगों के नाम?
CBI ने अदालत में 324 नामों की सूची जमा की है, जिनमें से 134 उम्मीदवारों को प्राथमिक स्कूलों में नौकरी मिल चुकी थी। ये सभी भर्तियां पैनल के बाहर से की गई थीं, यानी वे पात्रता सूची में नहीं थे, लेकिन राजनीतिक दबाव में उनकी नियुक्ति कर दी गई।
CBI सूत्रों का दावा है कि इस घोटाले में शामिल लोगों के नाम और साक्ष्य फोन मैसेज और व्हाट्सएप चैट के जरिए भी सामने आए हैं। इसमें मुख्य रूप से तृणमूल कांग्रेस के कुछ प्रभावशाली नेताओं के नाम हो सकते हैं।
क्या शिक्षा मंत्री और अधिकारी भी शामिल हैं?
CBI के अनुसार, पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी के दफ्तर में प्राथमिक शिक्षा परिषद के पूर्व अध्यक्ष मानिक भट्टाचार्य और शिक्षा विभाग के कई अधिकारी नियमित रूप से बैठकें करते थे। इन बैठकों में सिफारिशी नामों की सूची तैयार की जाती थी और फिर इन्हें प्राथमिक विद्यालयों में भर्ती कराया जाता था।
CBI को मिले साक्ष्यों के आधार पर यह भी पता चला है कि कई नियुक्तियां व्हाट्सएप मैसेज के जरिए भी तय की गई थीं। यानी बिना किसी आधिकारिक प्रक्रिया के सिर्फ नेताओं की सिफारिश पर ही लोगों को सरकारी नौकरी दी जा रही थी।
क्या अब गिरफ्तारियां होंगी?
CBI का कहना है कि घोटाले में शामिल सभी बड़े नेताओं, अधिकारियों और उम्मीदवारों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल, जांच एजेंसी ने इस मामले में और दस्तावेज जुटाने शुरू कर दिए हैं। संभावना जताई जा रही है कि जल्द ही कुछ बड़े नेताओं और अधिकारियों की गिरफ्तारी हो सकती है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया क्या है?
- भाजपा ने इस घोटाले को लेकर तृणमूल कांग्रेस पर हमला बोला है। भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा, "यह तृणमूल सरकार की भ्रष्ट नीतियों का परिणाम है। शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से राजनीतिक नियंत्रण में थी और यही वजह है कि हजारों योग्य उम्मीदवार नौकरी से वंचित रह गए।"
- तृणमूल कांग्रेस ने CBI जांच पर सवाल उठाते हुए इसे राजनीतिक प्रतिशोध करार दिया है। एक तृणमूल नेता ने कहा, "CBI केवल विपक्षी दलों को बदनाम करने के लिए जांच कर रही है। अगर भ्रष्टाचार हुआ है, तो साक्ष्य अदालत में पेश किए जाएं।"
आगे क्या होगा?
CBI ने अदालत में जो रिपोर्ट सौंपी है, उसके आधार पर अब यह तय होगा कि आगे कितने लोगों पर कार्रवाई होगी। इस घोटाले से जुड़े 134 उम्मीदवारों की नौकरी पर तलवार लटक रही है और संभव है कि उनकी नियुक्तियां रद्द कर दी जाएं।
निष्कर्ष
शिक्षा घोटाले ने यह साफ कर दिया है कि राजनीतिक दबाव के चलते हजारों योग्य अभ्यर्थियों का हक छीना गया। अब देखना यह होगा कि CBI कितनी निष्पक्षता से जांच पूरी करती है और दोषियों पर क्या कार्रवाई होती है।
आपका क्या कहना है? क्या इस मामले में दोषियों को सख्त सजा मिलनी चाहिए? अपनी राय हमें कमेंट में बताएं और हमारे साथ जुड़े रहें Newshobe.com पर, जहां आपको मिलेंगी ताजा और निष्पक्ष खबरें!
What's Your Reaction?






