वक्फ संशोधन विधेयक पर जेपीसी की समय सीमा बढ़ाने की मांग, लेकिन रिपोर्ट तैयार?
वक्फ संशोधन विधेयक पर जेपीसी की समय सीमा बढ़ाने की विपक्ष की मांग। चेयरमैन ने कहा, "ड्राफ्ट रिपोर्ट तैयार है।" जानें, क्यों उठ रहे हैं विरोध के सुर।

वक्फ संशोधन विधेयक पर गरमाई सियासत: विपक्ष ने समय सीमा बढ़ाने की मांग की
वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पर बने संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के कामकाज को लेकर गुरुवार (21 नवंबर 2024) को सियासी विवाद और गहरा गया। विपक्षी सदस्यों ने समिति के चेयरमैन जगदंबिका पाल की घोषणा पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की, जिसमें उन्होंने कहा कि समिति की अंतिम बैठक हो चुकी है और ड्राफ्ट रिपोर्ट जल्द जारी की जाएगी।
संसद द्वारा जेपीसी को रिपोर्ट सौंपने की समय सीमा शीतकालीन सत्र के पहले सप्ताह तक दी गई थी। संसद का 19 दिवसीय सत्र 25 नवंबर से शुरू हो रहा है। विपक्ष ने इस बीच लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से मिलने की योजना बनाई है ताकि रिपोर्ट सौंपने के लिए समय सीमा बढ़ाने की मांग की जा सके।
विपक्ष ने लगाए गंभीर आरोप
विपक्षी सदस्यों का कहना है कि समिति के चेयरमैन जगदंबिका पाल ने गवाहों की गवाही के अध्ययन के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि समिति के समक्ष ऐसे गवाह बुलाए गए जिनका वक्फ विधेयक से कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं था।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "अगर रिपोर्ट 29 नवंबर को सौंप दी जाती है, तो यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया के खिलाफ होगा। समिति के सदस्यों को विधेयक पर विस्तार से चर्चा करने का पर्याप्त समय मिलना चाहिए।"
समिति के कामकाज पर चेयरमैन का पक्ष
जेपीसी के चेयरमैन जगदंबिका पाल ने कहा, “हमने अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को बुलाकर विस्तृत चर्चा की है। अब तक समिति की 25 बैठकें हो चुकी हैं, जिसमें न्यायाधीशों, इस्लामी विद्वानों, उपकुलपतियों और अन्य विशेषज्ञों की राय ली गई। समिति ने 29 घंटे तक मंत्रालय के अधिकारियों से प्रश्न पूछे और उनके उत्तर सुने।”
उन्होंने यह भी कहा, “यह विधेयक लोकसभा स्पीकर द्वारा समिति को सौंपा गया था, और हम स्पीकर के निर्देशों का पालन करेंगे। रिपोर्ट तैयार है और उम्मीद है कि समिति के सदस्य सहमति पर पहुंचेंगे।”
क्या है वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024?
वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और उनके उपयोग के नियमों में बदलाव करना है। विधेयक में 44 संशोधन प्रस्तावित हैं, जिन्हें लेकर कई हितधारकों की राय ली गई है।
आगे की राह
विपक्ष ने चेतावनी दी है कि रिपोर्ट जल्दबाजी में पेश करना समिति की प्रक्रिया और उसकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करेगा। अब देखना यह होगा कि लोकसभा स्पीकर ओम बिरला इस मामले में क्या रुख अपनाते हैं।
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