क्या ममता की नज़र 2026 पर? घাটाल की मछी-माँस सभा में तृणमूल की नई रणनीति का इशारा?
A mega TMC meeting in Ghatal following Ajit Maity's appointment as district president stirs political energy in West Bengal. Ministers, MLAs, and leaders attended amid feast and strategy—was this the launchpad for 2026?

तृणमूल कांग्रेस की 'मछी-माँस' मीटिंग: क्या ये 2026 की रणनीति की शुरुआत है?
घाटाल (पश्चिम मिदनापुर) — जैसे ही अजीत मैती को तृणमूल कांग्रेस का जिला अध्यक्ष नियुक्त किया गया, पूरे घाटाल संगठनात्मक जिले में राजनीतिक हलचल तेज़ हो गई। तृणमूल कांग्रेस की इस बार की कार्यकर्ता सभा ने ना सिर्फ़ राजनीतिक बल्कि सामाजिक रूप से भी ज़ोरदार असर डाला। मछली और माँस के पकवानों के साथ यह सभा एक बड़े शक्ति प्रदर्शन में तब्दील हो गई।
विद्यासागर स्कूल मैदान में सजे भव्य मंच और भोज की तैयारियों के बीच, राज्य भर के बड़े नेताओं की मौजूदगी ने साफ़ कर दिया कि तृणमूल अब 2026 के विधानसभा चुनाव की तैयारी में लग चुकी है।
कौन-कौन पहुंचे इस 'सियासी भोज' में?
सूत्रों की मानें तो इस सभा में राज्य सरकार के कई वरिष्ठ मंत्री व विधायक शामिल हुए। दासपुर से विधायक ममता भुईंया, चंद्रकोणा से अरूप दास, डेबरा से हुमायूं कबीर की उपस्थिति चर्चा में रही। इसके अलावा पंचायत एवं ग्रामीण विकास की राज्यमंत्री शिउली साहा और जल संसाधन मंत्री मानस भुईंया भी पहुंचे।
हालांकि, अभिनेता व सांसद देव की उपस्थिति को लेकर पहले चर्चा थी, लेकिन अंततः वह इस सभा में नहीं पहुंचे। वहीं, ब्लॉक अध्यक्षों की भारी संख्या में उपस्थिति ने तृणमूल की जमीनी पकड़ को मज़बूत दिखाया।
क्यों खास है यह सभा?
इस सभा की अहमियत केवल अजीत मैती की ताजपोशी तक सीमित नहीं थी। कुछ दिनों पहले उन्होंने कुरमी आंदोलन को लेकर दिए एक विवादित बयान में कहा था कि कुछ कुरमी नेता 'खालिस्तानी' जैसे बर्ताव कर रहे हैं। इस बयान पर ममता बनर्जी को खुद सामने आकर माफी मांगनी पड़ी थी। ऐसे में इस सभा को अजीत की छवि सुधारने का भी एक बड़ा प्रयास माना जा रहा है।
साथ ही, जिस प्रकार से खाना-पिना, बैठने की व्यवस्था और मंच सज्जा की गई, उससे यह स्पष्ट है कि तृणमूल अपने कार्यकर्ताओं को संगठित और प्रेरित करने के लिए हर प्रयास कर रही है।
क्या संकेत मिल रहे हैं 2026 की ओर?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह सभा महज़ शक्ति प्रदर्शन नहीं, बल्कि भविष्य की चुनावी रणनीति का पहला अध्याय है। अजीत मैती को ज़िला अध्यक्ष बनाकर ममता बनर्जी ने साफ़ संकेत दिया है कि वह हर ज़िले में जमीनी नेता को आगे लाकर संगठन को मज़बूत करना चाहती हैं।
इसके साथ ही, नेताओं की भारी मौजूदगी और जनता को जोड़ने के लिए भोजन जैसी सांस्कृतिक रणनीतियों को अपनाना बताता है कि तृणमूल अब आम आदमी के करीब आने की नई कोशिश में है।
सोशल मीडिया और जनभावनाओं का संगम
सोशल मीडिया पर इस सभा की तस्वीरें, पकवानों की झलक और नेताओं के भाषण वायरल हो रहे हैं। कार्यकर्ताओं में जोश है, लेकिन आम जनता इस पूरी सभा को सत्ता की रणनीति से जोड़कर देख रही है। विपक्षी दलों ने भी इस शक्ति प्रदर्शन को 'ध्यान भटकाने का प्रयास' करार दिया है।
निष्कर्ष: क्या यह सभा तृणमूल की नई पारी की शुरुआत है?
घाटाल की इस सभा ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं — क्या यह सिर्फ़ एक साधारण कार्यकर्ता सभा थी? या फिर यह 2026 की चुनावी बिसात बिछाने की पहली चाल थी?
एक बात तो तय है, अजीत मैती की अध्यक्षता में तृणमूल अब पश्चिम मिदनापुर में एक नई रणनीति के साथ उतरने को तैयार है। और यदि यही गति रही, तो आने वाले दिनों में और भी ऐसे आयोजन देखने को मिल सकते हैं।
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