क्या दिलीप घोष बंगाल की राजनीति के सबसे विवादित नेता हैं?
दिलीप घोष के विवादित बयान और राजनीतिक सफर पर पूरी जानकारी। जानिए क्यों वह हमेशा सुर्खियों में रहते हैं।

क्या दिलीप घोष बंगाल की राजनीति के सबसे विवादित नेता हैं?
दिलीप घोष: एक ऐसा नेता जिसके बयानों ने हमेशा बटोरी सुर्खियाँ
कोलकाता, पश्चिम बंगाल: भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता और पश्चिम बंगाल के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष (Dilip Ghosh) हमेशा से ही अपने विवादित बयानों और आक्रामक राजनीतिक रणनीति के लिए चर्चा में रहे हैं। 1 अगस्त 1964 को पश्चिम मेदिनीपुर के कुलियाना गाँव में जन्मे दिलीप घोष ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रचारक के रूप में की थी। लेकिन आज वह एक ऐसे नेता के रूप में जाने जाते हैं, जिनके बयानों ने कई बार सियासी तूफान खड़ा कर दिया।
दिलीप घोष का राजनीतिक सफर
2015 में पश्चिम बंगाल BJP के अध्यक्ष बनने के बाद दिलीप घोष ने पार्टी को राज्य में एक मजबूत विकल्प के रूप में स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई। 2019 के लोकसभा चुनाव में उनके नेतृत्व में BJP ने पश्चिम बंगाल में 18 सीटें जीतीं, जो एक बड़ी उपलब्धि थी। खुद दिलीप घोष ने मेदिनीपुर सीट से जीत दर्ज की।
लेकिन उनकी राजनीतिक सफलता के साथ-साथ उनके विवादित बयान भी सुर्खियाँ बटोरते रहे। क्या वाकई दिलीप घोष बंगाल की राजनीति के सबसे विवादास्पद नेता हैं? आइए, जानते हैं उनके कुछ ऐसे बयान जिन्होंने हमेशा चर्चा का विषय बनाया।
दिलीप घोष के विवादित बयान जिन्होंने मचाया बवाल
1. जादवपुर यूनिवर्सिटी की छात्राओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी
2016 में दिलीप घोष ने जादवपुर यूनिवर्सिटी की छात्राओं को लेकर एक विवादित बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि यहाँ की छात्राएं "निम्न स्तर की और बेहूदा हैं जो हमेशा लड़कों के साथ रहने का मौका ढूंढती हैं।" इस बयान के बाद उनकी जमकर आलोचना हुई और छात्र संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया।
2. "TMC कार्यकर्ताओं को मार डालेंगे"
2019 में एक रैली के दौरान दिलीप घोष ने कहा था कि अगर वह चाहें तो TMC कार्यकर्ताओं के परिवारों को "खत्म कर सकते हैं"। उन्होंने अपने समर्थकों से हिंसक होने तक की अपील की, जिसके बाद उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया।
3. "जादवपुर यूनिवर्सिटी पर बालाकोट जैसा सर्जिकल स्ट्राइक"
उन्होंने जादवपुर यूनिवर्सिटी के छात्रों को "देशद्रोही" और "आतंकवादी" बताते हुए कहा था कि BJP यहाँ "बालाकोट जैसा सर्जिकल स्ट्राइक" करेगी। इस बयान के बाद शिक्षकों और छात्रों ने उनकी निंदा की।
4. "गाय का मूत्र पीने से कोरोना ठीक होगा"
कोरोना काल के दौरान दिलीप घोष ने दावा किया था कि गाय का मूत्र पीने से वायरस का खतरा कम होता है। उन्होंने खुद को गौमूत्र पीने वाला बताया, जिसके बाद डॉक्टरों और वैज्ञानिकों ने उनकी आलोचना की।
5. "ममता बनर्जी को बरमूडा पहनना चाहिए"
2021 के चुनाव प्रचार के दौरान दिलीप घोष ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के प्लास्टर वाले पैर पर अशोभनीय टिप्पणी करते हुए कहा था कि उन्हें "बरमूडा पहनकर अपना पैर दिखाना चाहिए।" इस बयान के बाद TMC ने उन पर महिला विरोधी होने का आरोप लगाया।
क्या दिलीप घोष की राजनीति हिंसा और विवादों से भरी है?
दिलीप घोष ने कई बार अपने भड़काऊ भाषणों के कारण विवादों को जन्म दिया है। उनके समर्थकों का कहना है कि वह सीधे और बेबाक बोलते हैं, जबकि विरोधी उन्हें हिंसा भड़काने वाला नेता मानते हैं।
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2016 में Kharagpur सदर से विधायक बने।
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2019 में मेदिनीपुर से सांसद चुने गए।
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2021 में BJP ने उन्हें पश्चिम बंगाल का अध्यक्ष बनाया।
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2023 में उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया।
लेकिन क्या उनकी विवादित छवि BJP के लिए फायदेमंद साबित हुई? क्या उनके बयानों ने पार्टी को नुकसान पहुँचाया? यह सवाल अभी भी बना हुआ है।
दिलीप घोष का भविष्य: क्या वह फिर से बंगाल की राजनीति में छा सकते हैं?
2024 के लोकसभा चुनाव से पहले दिलीप घोष एक बार फिर सुर्खियों में हैं। उनके समर्थकों का मानना है कि उनका आक्रामक रुख BJP को बंगाल में मजबूती देगा, जबकि विरोधियों का कहना है कि उनके बयानों ने पार्टी की छवि खराब की है।
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क्या दिलीप घोष का राजनीतिक तेवर सही है या उन्हें अपनी भाषा पर नियंत्रण रखना चाहिए? कमेंट में बताएँ!
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