क्या भारत बन रहा है दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था? जानिए 5 प्रमुख कारण
भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से विकास कर रही है और यह संभावना है कि आने वाले वर्षों में भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। जानिए इसके 5 प्रमुख कारण।

क्या भारत बन रहा है नई आर्थिक महाशक्ति?
पिछले एक दशक में वैश्विक अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण परिवर्तन देखने को मिले हैं। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के अनुसार, 2015 से 2025 तक की अवधि में विश्व की शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं ने उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की है। इनमें से भारत की प्रगति विशेष रूप से उल्लेखनीय है, जिसने 77% की वृद्धि दर के साथ वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति को मजबूत किया है।
शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं की विकास दर पर एक नजर
IMF के आंकड़ों के अनुसार, 2015 से 2025 तक की अवधि में शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं की विकास दर इस प्रकार रही है:
रैंक | देश | 2015 GDP | 2025 GDP | % परिवर्तन |
---|---|---|---|---|
1 | संयुक्त राज्य अमेरिका | $23.7T | $30.3T | 28% |
2 | चीन | $11.2T | $19.5T | 74% |
3 | जर्मनी | $4.5T | $4.9T | 10% |
4 | जापान | $4.1T | $4.4T | 6% |
5 | भारत | $2.4T | $4.3T | 77% |
6 | यूनाइटेड किंगडम | $3.3T | $3.7T | 14% |
7 | फ्रांस | $2.9T | $3.3T | 12% |
8 | इटली | $2.2T | $2.5T | 11% |
9 | कनाडा | $2.0T | $2.3T | 17% |
10 | ब्राजील | $2.1T | $2.3T | 8% |
भारत की आर्थिक प्रगति के प्रमुख कारक
भारत की इस तेज आर्थिक वृद्धि के पीछे कई महत्वपूर्ण कारक हैं:
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आर्थिक सुधार और नीतिगत पहल: 1991 में आर्थिक उदारीकरण के बाद से, भारत ने व्यापार और निवेश के लिए अपने दरवाजे खोले, जिससे विदेशी निवेश में वृद्धि हुई और उद्योगों का विकास हुआ।
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तकनीकी उन्नति और डिजिटल क्रांति: डिजिटल इंडिया पहल और तकनीकी नवाचारों ने सूचना प्रौद्योगिकी और सेवा क्षेत्रों में तेजी से वृद्धि की है, जिससे रोजगार के नए अवसर पैदा हुए हैं।
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जनसांख्यिकीय लाभांश: भारत की युवा आबादी ने श्रम शक्ति में वृद्धि की है, जिससे उत्पादन क्षमता में सुधार हुआ है।
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उद्यमिता और स्टार्टअप संस्कृति: सरकार की स्टार्टअप इंडिया जैसी पहलों ने नए उद्यमियों को प्रोत्साहित किया है, जिससे नवाचार और आर्थिक विकास को बल मिला है।
वैश्विक परिप्रेक्ष्य में भारत की स्थिति
चीन की 74% वृद्धि दर के मुकाबले भारत की 77% वृद्धि दर इसे दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बनाती है। यह प्रगति न केवल घरेलू स्तर पर बल्कि अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भी भारत की बढ़ती भूमिका को दर्शाती है।
आर्थिक चुनौतियाँ और भविष्य की संभावनाएँ
हालांकि भारत ने उल्लेखनीय प्रगति की है, लेकिन अभी भी कई चुनौतियाँ सामने हैं:
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आय असमानता: आर्थिक विकास के बावजूद, समाज के विभिन्न वर्गों के बीच आय असमानता एक महत्वपूर्ण मुद्दा बना हुआ है।
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बुनियादी ढाँचे का विकास: ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं की कमी और शहरी क्षेत्रों में अधोसंरचना की अपर्याप्तता विकास में बाधा बन सकती है।
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शिक्षा और कौशल विकास: गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और कौशल विकास कार्यक्रमों की आवश्यकता है ताकि युवा जनसंख्या को रोजगार योग्य बनाया जा सके।
क्या भारत बन रहा है दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था? जानिए 5 प्रमुख कारण
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के हालिया अनुमानों के अनुसार, भारत जल्द ही जापान को पीछे छोड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। IMF का अनुमान है कि 2025 तक भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 4.34 ट्रिलियन डॉलर होगा, जबकि जापान का 4.31 ट्रिलियन डॉलर पर स्थिर रहेगा।
यह उपलब्धि कई कारकों के संयुक्त प्रभाव का परिणाम है, जो भारत की आर्थिक वृद्धि को निरंतर प्रोत्साहित कर रहे हैं। आइए, इन प्रमुख कारकों पर विस्तार से विचार करें:
1. रणनीतिक सरकारी निवेश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए बुनियादी ढांचे के विकास और सार्वजनिक निवेश को प्राथमिकता दी है। नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन और आत्मनिर्भर भारत अभियान जैसी पहलों ने परिवहन, ऊर्जा और मैन्युफैक्चरिंग जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण निवेश आकर्षित किया है, जिससे घरेलू मांग और उद्योग को बढ़ावा मिला है।
2. भू-राजनीतिक बदलाव
बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव, विशेष रूप से चीन से संबंधित, ने बहुराष्ट्रीय कंपनियों को अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लाने के लिए प्रेरित किया है। भारत इस 'चीन+1' रणनीति के तहत एक अनुकूल विकल्प के रूप में उभरा है, जो राजनीतिक स्थिरता और एक बड़ा, कुशल कार्यबल प्रदान करता है। इस बदलाव के कारण प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में वृद्धि हुई है।
3. निवेश आकर्षण
भारत के वित्तीय बाजार वैश्विक निवेशकों के लिए तेजी से आकर्षक बन गए हैं। शेयर बाजार में पर्याप्त वृद्धि और विदेशी निवेशकों का प्रवाह हुआ है। इसके अतिरिक्त, जेपी मॉर्गन इमर्जिंग मार्केट्स इंडेक्स सहित वैश्विक सूचकांकों में भारतीय सरकारी बॉन्ड को शामिल करने से पूंजी प्रवाह बढ़ा है, राजकोषीय घाटा कम हुआ है और आर्थिक विस्तार में योगदान मिला है।
4. अनुकूल जनसांख्यिकी
भारत की युवा आबादी, जिसकी औसत आयु 28.4 वर्ष है, एक महत्वपूर्ण जनसांख्यिकीय लाभांश प्रदान करती है। यह पर्याप्त कार्यबल और दीर्घकालिक आर्थिक विकास की क्षमता प्रदान करती है, जो जापान की वृद्ध होती आबादी के विपरीत है, जो सतत आर्थिक विकास के लिए चुनौतियां पेश करती है।
5. घरेलू मांग से प्रेरित वृद्धि
भारत की मजबूत घरेलू मांग ने इसकी आर्थिक वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जून 2024 में भारत के नाममात्र सकल घरेलू उत्पाद में निजी अंतिम उपभोग व्यय (PFCE) का योगदान 60.4% था, जो पिछली तिमाही में 57.9% था। दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाला देश होने के नाते, भारत में मजबूत घरेलू मांग जारी रहने की संभावना है।
आर्थिक प्रदर्शन और भविष्य की संभावनाएं
हाल के आंकड़ों के अनुसार, भारत की GDP वृद्धि दर में सुधार देखा गया है। दिसंबर 2024 में समाप्त तिमाही में, GDP में 6.2% की वृद्धि हुई, जो पिछली तिमाही के 5.6% से अधिक है। यह वृद्धि अच्छी फसल और सरकारी खर्च में वृद्धि के कारण हुई है।
इसके अलावा, अक्टूबर-दिसंबर 2024 की अवधि में, सरकारी और उपभोक्ता खर्च में वृद्धि और मजबूत ग्रामीण अर्थव्यवस्था के कारण GDP में 6.2% की वृद्धि हुई।
निष्कर्ष
भारत की आर्थिक यात्रा प्रेरणादायक है, लेकिन सतत विकास के लिए समावेशी नीतियों, बुनियादी ढाँचे के विकास, और सामाजिक सुधारों पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है। यदि ये कदम उठाए जाते हैं, तो भारत निस्संदेह वैश्विक आर्थिक मंच पर एक प्रमुख शक्ति के रूप में उभर सकता है।
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