क्या सैनिकों की मृत्यु के बाद उनके वंशज पैदा करना सही है? इज़राइल में नई नीति से जुड़ा विवाद
इज़राइल में मृत सैनिकों का स्पर्म संरक्षित करने की नई नीति पर बहस छिड़ी है। यह प्रक्रिया परिवारों को सांत्वना देती है, लेकिन इसके नैतिक और कानूनी पहलू क्या हैं? जानें पूरी जानकारी।

क्या सैनिकों की मृत्यु के बाद उनके वंशज पैदा करना सही है?
इज़राइल में चल रहे युद्ध ने न केवल हज़ारों जानें लीं बल्कि परिवारों को ऐसी त्रासदी का सामना कराया, जिसे शब्दों में बयान करना कठिन है। ऐसी स्थिति में, इज़राइल सरकार ने एक नई नीति लागू की है, जिसमें मृत सैनिकों का स्पर्म संरक्षित करने की सुविधा दी जा रही है। इस कदम ने देश में एक भावनात्मक, नैतिक और कानूनी बहस को जन्म दिया है।
इज़राइल की नई नीति:
7 अक्टूबर 2023 के हमास हमले के बाद, इज़राइल की स्वास्थ्य प्रणाली ने मृत सैनिकों के परिवारों को एक विशेष विकल्प प्रदान किया। अब जब किसी सैनिक की मृत्यु की सूचना दी जाती है, तो परिवारों को तुरंत डॉक्टरों द्वारा सैनिक का स्पर्म संरक्षित करने का विकल्प दिया जाता है।
यह प्रक्रिया एक वैज्ञानिक उपलब्धि है, जिसमें मृत व्यक्ति के अंडकोष से स्पर्म निकालकर उसे लैब में संरक्षित किया जाता है। इसे 24-72 घंटे के भीतर किया जा सकता है। इस नीति के तहत, परिवार को स्पर्म संरक्षित करने के लिए अब कोर्ट की अनुमति नहीं लेनी पड़ती, लेकिन इसका उपयोग करने के लिए उन्हें कानूनी प्रक्रिया का सामना करना पड़ता है।
परिवारों की प्रतिक्रिया:
रीफ हरूश के परिवार की कहानी यह दर्शाती है कि यह प्रक्रिया कैसे किसी परिवार को सांत्वना दे सकती है। रीफ, एक 20 वर्षीय सैनिक, अप्रैल 2024 में गाज़ा में मारा गया था। उसके पिता, अवी हरूश ने तुरंत स्पर्म संरक्षित करने की अनुमति दी।
अवी कहते हैं, “यह हमारी अंतिम आशा है कि रीफ का वंशज हो। यह हमें उसकी याद को जीवित रखने का एक मौका देता है।”
नैतिक और कानूनी मुद्दे:
यह नीति जितनी संवेदनशील है, उतनी ही विवादित भी है। प्रमुख मुद्दों में शामिल हैं:
1. अनुमति का अभाव:
यदि मृत व्यक्ति ने अपने जीवनकाल में बच्चों के लिए कोई इच्छा व्यक्त नहीं की थी, तो क्या परिवार को यह अधिकार होना चाहिए कि वे उसका स्पर्म उपयोग करें?
2. बच्चे का भविष्य:
बिना पिता के पैदा होने वाले बच्चे का मानसिक और सामाजिक विकास क्या प्रभावित होगा?
3. धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण:
इज़राइल में कई रब्बी इस प्रक्रिया के खिलाफ हैं। उनका मानना है कि यह धार्मिक नियमों का उल्लंघन करता है, जबकि कुछ इसे वंश चलाने का एक उचित तरीका मानते हैं।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण:
डॉ. इताई गैट, जो इज़राइल के प्रमुख स्पर्म बैंक के निदेशक हैं, कहते हैं कि इस प्रक्रिया ने परिवारों को कठिन समय में कुछ राहत दी है। हालांकि, उनका मानना है कि स्पष्ट सहमति की आवश्यकता होनी चाहिए।
एक नई पीढ़ी की शुरुआत?
कुछ परिवारों के लिए यह प्रक्रिया उनकी सांत्वना का एकमात्र स्रोत है। 2002 में, पहली बार इस तकनीक का उपयोग किया गया था। आज, रीफ हरूश जैसे सैनिकों के माता-पिता इसे अपनी जीवन की मिशन के रूप में देख रहे हैं।
निष्कर्ष:
यह सवाल कि “क्या मृत सैनिक के वंशज पैदा करना सही है?” केवल इज़राइल का नहीं, बल्कि पूरे मानव समाज का है। यह एक ऐसी बहस है, जिसमें भावनाओं, विज्ञान, धर्म और नैतिकता का टकराव है।
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