Pahalgam Terror Attack 2025: India’s Diplomatic and Security Response?

A detailed Hindi news report on the April 22, 2025 Pahalgam terrorist attack. It covers the incident details, casualties, government response, diplomatic fallout, and proposed counter-terror measures, including Modi’s actions and strategic analysis.

Apr 29, 2025 - 11:06
 0  2
Pahalgam Terror Attack 2025: India’s Diplomatic and Security Response?
Indian security officers patrol in armoured vehicles after gunmen fired indiscriminately at tourists in Pahalgam, southern Indian-administered Kashmir, on April 22, 2025 [Dar Yasin/AP Photo] - aljazeera.com
Pahalgam Terror Attack 2025: India’s Diplomatic and Security Response?

क्या अब पाकिस्तान को मिलेगा माक़ूल जवाब? पहलगाम हमले के बाद भारत की रणनीति क्या होगी?

पहलागाम आतंकी हमला: क्या बदलेगा भारत-पाक संबंध?

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के लोकप्रिय पर्यटन स्थल पहलागाम स्थित बाइसरान मैदान में पांच घातक आतंकवादियों ने अंधाधुंध फायरिंग की। इस भीषण हमले में 26 पुरुषों की मौत हो गई और दो दर्जन से अधिक घायल हुए। यह घटना भारत में 2008 के मुंबई हमलों के बाद का सबसे बड़ा आतंकी हमला मानी जा रही है​। हमले में मारे गए 26 में से 25 पर्यटक थे, जिनमें 24 हिंदू और एक ईसाई नागरिक शामिल थे​। एक स्थानीय मुस्लिम टट्टू चालक भी मौत के घाट उतार दिया गया क्योंकि वह हमलावरों से हथियार छीनने की कोशिश कर रहा था​

घातक हमला जम्मू-कश्मीर के बाइसरान मैदान में हुआ, जहां सुरक्षा बल तैनात हैं। सरकारी सूत्रों के अनुसार दोपहर करीब 2:45 बजे पहलगाम के आसपास छिपे आतंकवादियों ने जंगल से निकलकर अचानक गोलियां चलाईं​। हमलावरों ने पुरुष पर्यटकों से धर्म के बारे में पूछा और हिंदू पाए जाने पर उन्हें निशाना बनाकर गोली मार दी गई​। घटना के बाद सुरक्षाबलों ने पूरे क्षेत्र में घेराबंदी कर तलाशी अभियान शुरू कर दिया और घायल पर्यटकों को पास के अस्पताल ले जाया गया।

घटना के कुछ समय बाद ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ नाम के आतंकवादी संगठन ने हमले की जिम्मेदारी ली और कहा कि यह हमला कश्मीर में गैर-स्थानीय लोगों को डोमिसाइल अधिकार देने की नीति के विरोध में किया गया था। हालांकि चार दिन बाद इस संगठन ने हमले का दावा वापस ले लिया​। शुरुआती जांच में शुबहा जताया गया कि यह हमला सीमा के पार से भेजे गए प्रशिक्षित आतंकियों ने अंजाम दिया है। इस बीच प्रधानमंत्री मोदी ने हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि दोषियों को “बख्शा नहीं जाएगा” और “आतंकवाद से लड़ने का हमारा संकल्प अटूट है”​

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस हमले को हाल के वर्षों में सबसे बड़ा आतंकी घटना बताया​। उन्होंने कहा कि इससे पहले भी कश्मीर में आतंकी वारदातें हुई हैं, लेकिन नागरिकों पर इस पैमाने का हमला लंबे समय में नहीं देखा गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हमले की भर्त्सना की और शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की​। उन्होंने मृतकों के परिजनों के साथ खड़े होने और घायलों को हर संभव सहायता देने का भरोसा दिया। गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल घटनास्थल की ओर रवाना हुए तथा वापसी के बाद प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय सुरक्षा बैठक हुई​। इसी समय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड लैमी से बातचीत में कहा कि भारत आतंकवाद के प्रति शून्य सहनशीलता की नीति पर कायम है और सीमा पार हमले की कड़ियों को उजागर किया जाएगा​

सरकार ने कूटनीतिक मोर्चे पर भी संघर्ष की राह पकड़ ली है। विदेश सचिव विक्रम मिश्री ने इंडस वाटर्स जल संधि पर भारत की भागीदारी निलंबित करने की घोषणा की​। साथ ही भारत-पाक मुख्य स्थलीय सीमा वाराणसी-वाघा (अटारी) चेकपोस्ट को बंद कर दिया गया, एसएआरसीसी वीज़ा रद्द किए गए और पाक उच्चायोग में तैनात सैन्य एवं नौसेना सलाहकारों को देश छोड़ने का आदेश दिया गया​। विदेश मंत्रालय ने यह स्पष्ट किया कि पानी साझा करने वाला 1960 का समझौता तब तक स्थगित रहेगा जब तक पाकिस्तान आतंकवाद के प्रति अपनी नीति नहीं बदलता​। इसके अतिरिक्त भारत ने पाकिस्तान के 20 राजनयिकों को देश से निष्कासित करने का भी निर्णय लिया है।

आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान ने भी तीखे प्रतिकारात्मक कदम उठाए। उसने भारतीय विमानों के लिए अपने हवाई मार्ग बंद कर दिए, भारत से सभी व्यापार और बस परिवहन बंद कर दिया​। पाकिस्तान ने कहा कि यदि भारत पानी की आपूर्ति रोकने या बांध पर कार्यवाही करता है तो उसे ‘युद्ध की घोषणा’ समझा जाएगा​। इसके अलावा पाक ने वाघा-अटारी बार्डर से आवागमन बंद किया, राजनयिक कर्मियों की संख्या घटाई और भारत में वीजा-रहित एसएआरसीसी यात्रियों को लौटने का कहा​

अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भी हमले की कड़ी निंदा की है। अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने प्रधानमंत्री मोदी को समर्थन और ढाढस बढ़ाने वाला संदेश भेजा​। अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने घटनास्थल के लिए अपनी संवेदनाएं प्रकट कीं। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने हमले को “भयानक” बताते हुए पीड़ितों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की​। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इस “निर्दयतापूर्ण” कृत्य की भर्त्सना की​, वहीं संयुक्त अरब अमीरात और फ्रांस ने भी देश के साथ एकजुटता जताई​। सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने जेद्दा में मोदी से मुलाकात के दौरान हमले की घोर निंदा की और आवश्यक सहयोग की पेशकश की​।

घटना के कूटनीतिक आयाम अब गहराने लगे हैं। भारत पहले भी संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में बलूचिस्तान में पाकिस्तान की मानवाधिकार हननों को प्रमुखता से उठाता रहा है​। इस हमले के बाद भारत पाकिस्तान को वैश्विक मंचों पर और अलग-थलग करने की कवायद और तेज करेगा। विदेश नीति विशेषज्ञों का मानना है कि भारत-पाक के बीच तनाव बढ़ने की दशा में क्षेत्रीय सहयोग मंच जैसे सार्क की गतिविधियाँ प्रभावित होंगी और पाकिस्तान के अंतर्राष्ट्रीय साथी भी सतर्क हो सकते हैं​।

सरकार ने देश-विदेश में आतंक को जड़ से खत्म करने के लिए कई कदम उठाने का रोडमैप तय किया है। इसमें आतंकवाद निरोधी अंतरराष्ट्रीय गठबंधनों के साथ मिलकर पाकिस्तानी आतंकवाद नेटवर्क पर दबाव बनाना, सीमा सुरक्षा पुख्ता करना (जैसे एलओसी पर तैनाती बढ़ाना, ड्रोन निगरानी का व्यापक उपयोग) और आतंकी संगठनों के वित्तपोषण पर रोक लगाना शामिल है। माना जा रहा है कि सरकार संदिग्ध समूहों को अनुच्छेद 4(1) और UAPA जैसी क़ानूनों के तहत प्रतिबंधित करके उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई तेज़ करेगी। सोशल मीडिया और शिक्षण संस्थानों में भी कट्टरपंथी प्रवचन पर कड़ी नज़र रखी जाएगी ताकि देशद्रोही तत्वों के किसी गलत प्रचार को बढ़ावा न मिले। इन उपायों से पाकिस्तान के निहित द्वेष का पर्दाफाश होगा और देश में एकता बनी रहेगी।

विश्लेषकों के मुताबिक अभी शांतिपूर्ण तरीके से मोदी सरकार को कूटनीतिक दबाव बढ़ाते हुए पाकिस्तान को आइसोलेट करना चाहिए​। रक्षा मामलों के विशेषज्ञ अजय शुक्ला चेतावनी दे रहे हैं कि भारत सीमित हाथ में सीमा पार कार्रवाई कर सकता है, लेकिन चीन-पाक मिलकर संभावित मोर्चे पर हो सकते हैं, इसलिए सैन्य विकल्प सोच-समझकर अपनाए जाने चाहिए​। उन्होंने कहा, “भारत की बढ़ी हुई स्वतंत्रता का लाभ है, लेकिन अगर सीमापार कार्रवाई की तो भारत अकेले ही इसमें लड़ना पड़ेगा और पाकिस्तान व चीन मिलकर विरोधी मोर्चा तैयार कर सकते हैं”​। चाथम हाउस की स्टडी में भी कहा गया है कि भारत ने जल समझौते पर पहले ही दबाव दिखाया है और अब उसे समेत सरकारी बंदरगाहों, वस्तु निर्यात-आयात और कूटनीति के अन्य साधनों से पाकिस्तान को अलग करना होगा​

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ट्वीट में लिखा, “पहलागाम, जम्मू-कश्मीर में हुए इस भयानक आतंकवादी हमले की मैं कड़ी निंदा करता हूं। दुख की इस घड़ी में हम शोकाकुल परिवारों के साथ खड़े हैं और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करते हैं।” उन्होंने आगे कहा कि “इस जघन्य कृत्य में शामिल लोगों को कोई रियायत नहीं मिलेगी, उन्हें कानून के मुताबिक दंडित किया जाएगा”​। इस दर्दनाक हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। जिन परिवारों ने अपने अपनों को खोया, उनके आँसू किसी के भी रग-रग में दर्द भर देते हैं। हर भारतीय से एक ही सवाल उठता है – क्या 26 मासूमों की बलि से मिली इस सीख को आत्मसात कर हम आतंकवादियों के विरुद्ध निर्णायक कार्रवाई करेंगे, या फिर घुटन छोड़ने के लिए कुर्सी छोड़ देंगे?

हमें इस जख्मी समय में भी एकता और साहस बनाए रखना होगा। हमारी प्रतिक्रिया को न्याय, कूटनीति और सतर्कता का संयोग होना चाहिए। अतः रोज़ाना नई ख़बरों के लिए हमारी वेबसाइट फॉलो करें, अपनी राय कमेंट में बताएं। यह लेख राष्ट्रीय समाचार श्रेणी में जोड़ा जाना चाहिए और हम जनता की सूचनात्मक भागीदारी की अपेक्षा करते हैं।

What's Your Reaction?

Like Like 0
Dislike Dislike 0
Love Love 0
Funny Funny 0
Angry Angry 0
Sad Sad 0
Wow Wow 0
Newshobe "हमारा उद्देश्य ताज़ा और प्रासंगिक खबरें देना है, ताकि आप देश-दुनिया के हर महत्वपूर्ण घटनाक्रम से जुड़े रहें। हमारे पास अनुभवी रिपोर्टरों की एक टीम है, जो खबरों की गहराई से रिपोर्टिंग करती है।"