मेदिनीपुर उपचुनाव में वोटकर्मियों के पुनः प्रशिक्षण पर सवाल, आयोग की ओर से नई व्यवस्था

मेदिनीपुर में उपचुनाव के लिए वोटकर्मियों को फिर से प्रशिक्षण देने पर उठे सवाल, चुनाव आयोग ने जारी की नई दिशा-निर्देश।

Nov 7, 2024 - 11:43
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मेदिनीपुर उपचुनाव में वोटकर्मियों के पुनः प्रशिक्षण पर सवाल, आयोग की ओर से नई व्यवस्था
मेदिनीपुर उपचुनाव में चुनाव आयोग के द्वारा आयोजित किए गए वोटकर्मियों के प्रशिक्षण सत्र के दौरान की एक तस्वीर।

मेदिनीपुर उपचुनाव 2024: वोटकर्मियों के पुनः प्रशिक्षण पर उठे सवाल

मेदिनीपुर में आगामी विधानसभा उपचुनाव के लिए वोटकर्मियों को फिर से विशेष प्रशिक्षण देने का आदेश चुनाव आयोग द्वारा जारी किया गया है। इससे पहले, वोटकर्मियों ने अपने प्रशिक्षण कार्यक्रम को पूरा कर लिया था, लेकिन अब आयोग के आदेश पर पुनः प्रशिक्षण की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। इस निर्णय के कारण कई वोटकर्मी असंतुष्ट हैं और उन्होंने चुनाव आयोग से इस संदर्भ में अपनी आपत्ति भी दर्ज करवाई है।

आयोग का आदेश: वोटकर्मियों को फिर से मिलेगा प्रशिक्षण

चुनाव आयोग ने हाल ही में मेदिनीपुर में नियुक्त किए गए सामान्य पर्यवेक्षक के निर्देश पर यह निर्णय लिया। सूत्रों के मुताबिक, 9 नवंबर को विशेष प्रशिक्षण आयोजित किया जाएगा, जो आगामी 13 नवंबर के उपचुनाव की तैयारी के लिए है। इस प्रशिक्षण में वोटकर्मियों को निर्वाचन प्रक्रिया की बारीकियों से अवगत कराया जाएगा।

वोटकर्मियों की नाराजगी

वोटकर्मियों ने इस आदेश पर सवाल उठाते हुए आयोग से पूछा है कि क्यों उन्हें फिर से प्रशिक्षण देना आवश्यक था। शिक्षानुरागी एकता मंच के महासचिव किङ্কर अधिकारী ने इस मुद्दे को उठाया है और चुनाव आयोग से जवाब तलब किया है। उनका कहना है कि पहले ही प्रशिक्षण लिया जा चुका है, फिर से प्रशिक्षण की आवश्यकता क्यों पड़ी?

सामान्य पर्यवेक्षक की रिपोर्ट और आयोग की कार्रवाई

गौरतलब है कि कुछ दिन पहले चुनाव आयोग द्वारा नियुक्त किए गए सामान्य पर्यवेक्षक मेदिनीपुर पहुंचे थे और उन्होंने माइक्रो-ऑब्जर्वरों के प्रशिक्षण सत्र में हिस्सा लिया। उनके द्वारा निरीक्षण किए जाने के बाद यह पाया गया कि प्रशिक्षण में कुछ कमी रह गई थी। इसीलिए उन्होंने फिर से प्रशिक्षण की व्यवस्था करने का आदेश दिया।

आयोग द्वारा पर्यवेक्षकों की नियुक्ति

मेदिनीपुर उपचुनाव के लिए तीन पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की गई है—एक सामान्य पर्यवेक्षक, एक पुलिस पर्यवेक्षक और एक खर्च (एक्सपेंडिचर) पर्यवेक्षक। सामान्य पर्यवेक्षक शमित शर्मा, जो राजस्थानी कैडर के 2004 बैच के आईएएस अधिकारी हैं, पुलिस पर्यवेक्षक अरविंद सल्वे, जो 2011 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं, और खर्च पर्यवेक्षक अभिनव पित्त, जो भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) अधिकारी हैं, मेदिनीपुर में चुनावी प्रक्रिया की निगरानी करेंगे।

केंद्रीय बलों की तैनाती और सुरक्षा व्यवस्था

उपचुनाव की तैयारी में निर्वाचन आयोग ने मेदिनीपुर में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कड़े कदम उठाए हैं। 16 कंपनियों की केंद्रीय बलों को तैनात किया गया है, और प्रत्येक मतदान केंद्र पर केंद्रीय बलों की उपस्थिति सुनिश्चित की जाएगी। यह कदम शांतिपूर्ण और सख्त चुनावी प्रक्रिया को सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।

निर्वाचन प्रक्रिया में पर्यवेक्षकों का महत्वपूर्ण योगदान

वोटों की सही गिनती और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने में पर्यवेक्षकों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। वे न केवल चुनाव की प्रक्रिया को देखने और समझने में मदद करते हैं, बल्कि स्थानीय चुनाव अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश भी प्रदान करते हैं। चुनावी पर्यवेक्षक यह सुनिश्चित करते हैं कि मतदान केंद्रों पर सभी नियमों का पालन किया जाए और किसी प्रकार की गड़बड़ी न हो।

आयोग की निष्पक्षता सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी

चुनाव आयोग का यह प्रयास है कि उपचुनाव निष्पक्ष, स्वतंत्र और शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो। आयोग ने अपनी कार्यप्रणाली को स्पष्ट करते हुए कहा है कि किसी भी प्रकार की अनियमितता या गड़बड़ी पाए जाने पर तत्काल कार्रवाई की जाएगी। इसलिए पर्यवेक्षकों का महत्व और भी बढ़ जाता है, क्योंकि वे चुनाव की प्रक्रिया की निगरानी करते हुए निष्पक्षता को बनाए रखने में मदद करते हैं।

उपचुनाव से जुड़ी अंतिम तैयारियाँ

मेदिनीपुर में उपचुनाव के लिए सभी तैयारियाँ तेजी से चल रही हैं। मतदान केंद्रों पर केंद्रीय बलों की तैनाती की जा रही है और चुनाव प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए लगातार निरीक्षण किया जा रहा है। आयोग ने इस बात की पुष्टि की है कि सभी मतदान केंद्रों पर पर्यवेक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित की जाएगी ताकि कोई भी चुनावी गड़बड़ी न हो सके।

समाप्ति और निष्कर्ष

मेदिनीपुर उपचुनाव में वोटकर्मियों के पुनः प्रशिक्षण पर आयोग के द्वारा लिया गया निर्णय निश्चित रूप से चुनावी प्रक्रिया को और बेहतर बनाने का प्रयास है। हालांकि, वोटकर्मियों की नाराजगी इस प्रक्रिया के समय और पुनः प्रशिक्षण के कारण सामने आई है, लेकिन अंततः यह कदम चुनावी निष्पक्षता और पारदर्शिता को बढ़ाने के लिए आवश्यक है।

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