क्या बांग्लादेश में ISKCON के सदस्यों को भारत जाने से रोका गया? जानें क्यों!

बांग्लादेश में हिंदू पादरी चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद 50 से अधिक ISKCON सदस्यों को भारत जाने से रोका गया। जानें क्यों बांग्लादेश की पुलिस ने इन भक्तों को सीमा पार करने की अनुमति नहीं दी।

Dec 2, 2024 - 04:59
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क्या बांग्लादेश में ISKCON के सदस्यों को भारत जाने से रोका गया? जानें क्यों!
ISKCON members stopped at Bangladesh-India border

क्या बांग्लादेश में ISKCON के सदस्यों को भारत जाने से रोका गया?

बांग्लादेश में हाल ही में हिंदू पादरी चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी ने एक बड़ा विवाद उत्पन्न कर दिया है। इस घटना के बाद, बांग्लादेश की पुलिस ने 50 से अधिक ISKCON (इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस) के सदस्यों को भारत जाने से रोक दिया, जिनके पास वैध यात्रा दस्तावेज थे। यह कदम बांग्लादेश के अधिकारियों द्वारा "संदिग्ध यात्रा" के कारण उठाया गया, जिसके बाद इस मुद्दे ने और भी तूल पकड़ी है। इस घटना के साथ ही बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों की खबरें भी सामने आई हैं, जो स्थिति को और भी गंभीर बनाती हैं।

ISKCON और चिन्मय कृष्ण दास: क्या है पूरा मामला?

ISKCON के सदस्यों द्वारा बांग्लादेश-भारत सीमा पर यात्रा करने का उद्देश्य भारत में एक धार्मिक समारोह में भाग लेना था। इन भक्तों ने बांग्लादेश के बेनापोल बॉर्डर चेकपॉइंट से भारत जाने की कोशिश की, लेकिन उन्हें यात्रा की अनुमति नहीं दी गई। बेनापोल इमिग्रेशन चेकपॉइंट के अधिकारी इम्तियाज अहसनुल क्वांदेर भुईया ने दैनिक स्टार से बातचीत में कहा, "हमने स्पेशल ब्रांच पुलिस से परामर्श किया और उच्च अधिकारियों से निर्देश प्राप्त किए, जिसके बाद हमने इन भक्तों को यात्रा करने की अनुमति नहीं दी।"

सौरभ तपंदर चेली, एक ISKCON सदस्य ने कहा कि वे भारत में एक धार्मिक समारोह में भाग लेने आए थे, लेकिन इमिग्रेशन अधिकारियों ने उन्हें रोक दिया और सरकार से अनुमति न होने की बात कही। इस मामले में, बांग्लादेश की सरकार की ओर से सख्त कदम उठाए गए हैं, खासकर हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ते हमलों और धर्म के नाम पर हो रहे असहमति को लेकर।

चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन

चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी बांग्लादेश में एक गंभीर मुद्दा बन गई है। उन पर देशद्रोह का आरोप लगाया गया है और यह आरोप उनके द्वारा बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज पर एक झंडा लगाने के मामले में सामने आया था। इसके बाद, बांग्लादेश के चित्तगांव कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी और उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया। इस घटना के बाद, बांग्लादेश में हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए, जिनमें एक वकील की हत्या भी हो गई। इसके अतिरिक्त, दो और हिंदू पुजारियों, रुद्रपति केसव दास और रंगनाथ श्याम सुंदर दास को गिरफ्तार किया गया।

ISKCON का बयान: क्या है स्थिति?

ISKCON ने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि वे चिन्मय कृष्ण दास के अधिकारों और उनकी स्वतंत्रता के पक्ष में हैं। हालांकि, संगठन ने यह भी स्पष्ट किया कि चिन्मय कृष्ण दास ISKCON का आधिकारिक सदस्य नहीं हैं और वे बांग्लादेश में ISKCON के प्रतिनिधि नहीं हैं। ISKCON ने कहा, "हमने पहले भी यह स्पष्ट किया है कि वे हमारी संस्था का हिस्सा नहीं हैं, लेकिन हम उनके अधिकारों के समर्थन में खड़े हैं और शांति से हिंदुओं और उनके पूजा स्थलों की सुरक्षा की बात करने के उनके अधिकार का समर्थन करते हैं।"

इस बयानी के बाद, बांग्लादेश के अधिकारियों ने ISKCON की गतिविधियों को लेकर एक याचिका दायर की थी, जिसमें ISKCON को "उग्र संगठन" बताने और बांग्लादेश में उसके कार्यों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी। लेकिन बांग्लादेश उच्च न्यायालय ने इस याचिका को खारिज कर दिया और ISKCON पर प्रतिबंध लगाने से इनकार कर दिया।

बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमले

यह घटनाएँ केवल चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी तक सीमित नहीं हैं। बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर लगातार हमले हो रहे हैं, खासकर धार्मिक स्थलों पर तोड़फोड़ और हिंसा की घटनाएँ बढ़ गई हैं। इन घटनाओं ने पूरे बांग्लादेश में धार्मिक तनाव को और बढ़ा दिया है, जिससे इस देश में हिंदू समुदाय के लिए सुरक्षा की स्थिति और भी खतरनाक हो गई है।

इस पूरे घटनाक्रम के बाद, भारत सरकार से भी हस्तक्षेप की मांग की गई है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग की गई है कि वे बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही हिंसा को लेकर गंभीर कदम उठाएं।

बांग्लादेश में ISKCON की स्थिति: क्या बदलाव आएंगे?

ISKCON के खिलाफ बांग्लादेश में हो रहे विरोध प्रदर्शनों और उसकी गतिविधियों पर लग रहे प्रतिबंधों के बावजूद, ISKCON ने बांग्लादेश में अपने आधिकारिक कार्यों को जारी रखने का संकल्प लिया है। उच्च न्यायालय के आदेश से यह स्पष्ट होता है कि ISKCON को बांग्लादेश में प्रतिबंधित नहीं किया जाएगा, लेकिन क्या यह संगठन अपने अधिकारों की सुरक्षा के लिए आगे और संघर्ष करेगा, यह देखना बाकी है।

निष्कर्ष

चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और ISKCON के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शनों ने बांग्लादेश में धार्मिक असहमति और अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों की गंभीरता को उजागर किया है। इसके बावजूद, ISKCON ने अपने अधिकारों की रक्षा के लिए खड़ा रहने का संकल्प लिया है। बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा बन गया है और अब देखना यह होगा कि क्या भारत सरकार इस मामले में हस्तक्षेप करती है और बांग्लादेश में हो रही हिंसा को रोकने में मदद करती है।

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