कर्णागढ़ मंदिर: इतिहास, संस्कृति और आकर्षण का केंद्र

कर्णागढ़ मंदिर, पश्चिम मेदिनीपुर, पश्चिम बंगाल का ऐतिहासिक स्थल। जानिए कैसे यह मंदिर ओडिशा की वास्तुकला, ऐतिहासिक विद्रोह और धार्मिक परंपरा का संगम है।

Nov 12, 2024 - 10:37
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कर्णागढ़ मंदिर: इतिहास, संस्कृति और आकर्षण का केंद्र
कर्णागढ़ मंदिर परिसर
कर्णागढ़ मंदिर: इतिहास, संस्कृति और आकर्षण का केंद्र
कर्णागढ़ मंदिर: इतिहास, संस्कृति और आकर्षण का केंद्र

परिचय

पश्चिम बंगाल के पश्चिम मेदिनीपुर जिले के सलबोनी ब्लॉक में स्थित कर्णागढ़, अपने समृद्ध इतिहास और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। इस क्षेत्र के मुख्य आकर्षणों में 10वीं शताब्दी में कर्ण केशरी द्वारा बनाए गए दंडेश्वर और महामाया मंदिर शामिल हैं।

दंडेश्वर मंदिर की विशेषताएं

दंडेश्वर मंदिर 60 फीट ऊंचा और 20.6 फीट लंबा है। इस मंदिर की विशेषता यह है कि इसमें कोई प्रतिमा नहीं है, बल्कि एक 8 फीट गहरा गड्ढा है जिसे जोनिपीठ कहा जाता है। यह मंदिर शिव भक्तों के लिए अत्यंत पवित्र स्थल है और राज्य संरक्षित स्मारक के रूप में सूचीबद्ध है।

महामाया मंदिर और पूजा पद्धति

दंडेश्वर मंदिर के बाईं ओर स्थित महामाया मंदिर, माँ भगवती महामाया को समर्पित है। यह मंदिर शासक परिवार की आराध्य देवी का स्थल है। महामाया देवी की मूर्ति एक पारदर्शी मलमल की साड़ी में सजाई गई है और मंदिर के गर्भगृह में विराजमान है।

मंदिरों की वास्तुकला

दोनों मंदिर ओडिशा शैली की परंपरागत वास्तुकला में बने हैं। दंडेश्वर मंदिर का सप्तरथ शिखर शैली में निर्मित गर्भगृह और सप्तरथ पीड़ा शैली में निर्मित जगमोहन इसका मुख्य आकर्षण है। इसके सुंदर शिल्प और सुगठित संरचना ने इसे राज्य के विशेष धार्मिक स्थलों में स्थान दिलाया है।

ऐतिहासिक महत्व

कर्णागढ़ का मंदिर न केवल धार्मिक स्थल है बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। यह क्षेत्र चुआर विद्रोह का केंद्र था, जो 1771 से 1809 तक चला। इस विद्रोह का नेतृत्व स्थानीय जंगलों और कृषि पर निर्भर लोगों ने किया था। रानी शिरोमणि का इस विद्रोह से गहरा संबंध था, और उनका नाम स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक प्रमुख हस्ताक्षर के रूप में उभरता है।

कर्णागढ़ किला और इतिहास

कर्णागढ़ किला, जो लगभग 100 बीघा भूमि पर फैला था, परांग नदी से घिरा हुआ था। इस किले का निर्माण राजा महाबीर सिंह द्वारा किया गया था और इसके अंदर दो प्रमुख भाग थे: अंदर महल और बाहर महल।

परिवहन सुविधाएं और कैसे पहुंचें

वायु मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, कोलकाता है, जो लगभग 136.9 किमी दूर है।

रेल मार्ग: हावड़ा से पश्चिम मेदिनीपुर तक ट्रेन के द्वारा पहुंचा जा सकता है, जो लगभग 128 किमी की दूरी पर है। यहां से कर्णागढ़ सड़क मार्ग से 10 किमी दूर है।

सड़क मार्ग: कोलकाता से पश्चिम मेदिनीपुर एनएच-6 (मुंबई-कोलकाता राजमार्ग) के माध्यम से पहुंचा जा सकता है, जो लगभग 132 किमी की दूरी पर है।

सांस्कृतिक कार्यक्रम और मेले

हर वर्ष पौष संक्रांति के अवसर पर कर्णागढ़ में एक भव्य मेला आयोजित किया जाता है, जिसमें स्थानीय लोग भारी संख्या में भाग लेते हैं। इस मेले का सांस्कृतिक महत्व स्थानीय परंपराओं और धार्मिक मान्यताओं से जुड़ा हुआ है।

यात्रा संबंधी जानकारी

नजदीकी पुलिस थाना: सलबोनी पुलिस स्टेशन (संपर्क नंबर: 03227-252100)

ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर (BDO): संपर्क नंबर: 8348323457

BMOH: संपर्क नंबर: 8972840402

नजदीकी रेलवे स्टेशन: भादुतला रेलवे स्टेशन

कर्णागढ़ का मंदिर इतिहास, संस्कृति और वास्तुकला के अद्भुत संगम का परिचायक है। इस क्षेत्र में घूमने का अनुभव हर इतिहास और संस्कृति प्रेमी के लिए अविस्मरणीय साबित होगा।

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