मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने अपने विदाई समारोह में दी अंतिम संबोधन, न्यायपालिका में सुधार की चुनौतियों पर साझा किए अनुभव

"मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने अपने विदाई समारोह में 24 वर्षों की न्यायिक यात्रा और सुधार के अनुभव साझा किए।"

Nov 9, 2024 - 21:11
Nov 9, 2024 - 21:13
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मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने अपने विदाई समारोह में दी अंतिम संबोधन, न्यायपालिका में सुधार की चुनौतियों पर साझा किए अनुभव
"Image of Chief Justice D. Y. Chandrachud giving a farewell speech at a podium in a formal court setting, with the text 'Chief Justice D. Y. Chandrachud's Farewell Speech' in English."

शीर्षक 1: न्यायपालिका में सुधार और पारदर्शिता के प्रति प्रतिबद्धता मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित विदाई समारोह में अपने 24 वर्षों के न्यायिक करियर की यादें साझा कीं। उन्होंने बताया कि न्यायाधीश के रूप में सबसे पहली चुनौती अपने डर का सामना करना होती है और सीमाओं को समझने में बार की भूमिका अहम होती है। चंद्रचूड़ ने यह भी बताया कि उनके पिता ने उन्हें पुणे का एक छोटा सा फ्लैट खरीदने की सलाह दी थी और कहा था कि इसे तब तक अपने पास रखना जब तक तुम न्यायाधीश हो। इसका अर्थ था कि उनकी ईमानदारी और स्वतंत्रता बनी रहनी चाहिए।

शीर्षक 2: न्यायिक शक्ति की सीमाएं और न्यायाधीश की भूमिका अपने कार्यकाल को याद करते हुए, चंद्रचूड़ ने कहा, "कोर्ट में न्यायाधीश रोज़ाना कई अन्याय देखता है, लेकिन हर एक को दूर नहीं कर सकता। न्याय की वास्तविकता सुनने की क्षमता में होती है, न कि केवल राहत देने की क्षमता में।" उन्होंने कहा कि न्यायिक सुधारों के बावजूद, कुछ समस्याएं ऐसी होती हैं जो न्यायाधीश के अधिकार क्षेत्र से बाहर होती हैं।

शीर्षक 3: पारदर्शिता के लिए डेटा-संचालित दृष्टिकोण चंद्रचूड़ ने न्यायपालिका को और अधिक पारदर्शी बनाने के लिए डेटा-संचालित दृष्टिकोण को अपनाया। उन्होंने बताया कि जब उन्होंने मुख्य न्यायाधीश का पद संभाला, तब 1,500 फाइलें रजिस्ट्रार की अलमारी में रखी हुई थीं। उन्होंने इस स्थिति को बदलने का निर्णय लिया और हर केस को सार्वजनिक डोमेन में डालने की पहल की। इसका परिणाम यह हुआ कि 82,000 लंबित मामलों की संख्या दो वर्षों में 11,000 से अधिक घट गई।

शीर्षक 4: आलोचना के प्रति स्वीकृति और समर्थन मुख्य न्यायाधीश ने सोशल मीडिया पर अपने आलोचकों का भी जिक्र किया। "मैं शायद सबसे ज़्यादा ट्रोल किए जाने वाले न्यायाधीशों में से एक हूं," उन्होंने हंसी के साथ कहा। "लेकिन यह भी सच है कि मेरे कंधे इतने चौड़े हैं कि हर आलोचना को सहन कर सकें। बार और मेरे सहयोगियों ने हमेशा मेरा समर्थन किया।"

शीर्षक 5: भविष्य की दिशा में न्यायपालिका चंद्रचूड़ ने न्यायपालिका की संरचना में बदलाव की आवश्यकता पर भी जोर दिया। "सुप्रीम कोर्ट एक मुख्य न्यायाधीश-केंद्रित कोर्ट है। मैंने इसे बदलने का प्रयास किया है। न्यायपालिका में व्यक्तिगत एजेंडे नहीं होते, बल्कि संस्थान के हित में काम करना होता है।" उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करना ज़रूरी था कि न्यायिक प्रणाली को अधिक जवाबदेह और पारदर्शी बनाया जाए।

शीर्षक 6: न्यायपालिका के भविष्य पर विश्वास मुख्य न्यायाधीश ने अपने उत्तराधिकारी, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना के प्रति विश्वास व्यक्त किया और कहा कि कोर्ट उनके नेतृत्व में एक सुरक्षित और स्थिर हाथों में है।

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