छत्तीसगढ़ में CRPF के जवानों में बढ़ती आत्महत्या की घटनाएं: मानसिक स्वास्थ्य पर चिंता के बादल
छत्तीसगढ़ में CRPF और अन्य सुरक्षा बलों के जवानों में आत्महत्या की बढ़ती घटनाएं मानसिक स्वास्थ्य पर सवाल खड़े कर रही हैं। जानें इन घटनाओं के पीछे के संभावित कारण और सरकार के कदम।

1. परिचय: जवानों में आत्महत्या के मामले क्यों बढ़ रहे हैं?
बीते पांच महीनों में छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों में आत्महत्या के सात मामले सामने आए हैं। यह घटनाएं नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तनावपूर्ण वातावरण के कारण बढ़ी चिंता का संकेत हैं।
2. नक्सल विरोधी अभियानों का प्रभाव
छत्तीसगढ़ में CRPF, BSF और SSB के जवान नक्सल विरोधी अभियानों में सक्रिय रहते हैं। इसके कारण उनका सामना उच्च तनाव और मानसिक दबाव से होता है। बीजापुर और सुकमा जैसे नक्सल क्षेत्रों में तैनाती उनकी मानसिक स्थिति पर भारी असर डालती है।
3. आत्महत्या की ताजा घटना: हेड कांस्टेबल पवन कुमार का मामला
26 अक्टूबर को हेड कांस्टेबल पवन कुमार ने बीजापुर में अपनी AK-47 से खुद को गोली मार ली। घटना के बाद उनके सहकर्मी उन्हें तुरंत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। पुलिस को इस घटना के पीछे कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है।
4. पिछले मामलों का संक्षिप्त विवरण
18 अक्टूबर: त्रिपुरा स्टेट राइफल्स का जवान, कोरबा कोयला खदान में आत्महत्या।
14 सितंबर: CRPF के हेड कांस्टेबल ने सुकमा यूनिट कैंप में अपनी जान ले ली।
3 सितंबर: SSB के कांस्टेबल ने कांकेर में आत्महत्या की।
20 जून: BSF के जवान ने कांकेर में आत्महत्या की।
5. मानसिक स्वास्थ्य और तनाव के कारण
तनावपूर्ण कार्य माहौल, परिवार से दूरी, और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की कमी सुरक्षा बलों में आत्महत्या के बढ़ते मामलों का कारण बन सकते हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि इन जवानों को नियमित मानसिक स्वास्थ्य सहायता मिलनी चाहिए।
6. सरकार और सुरक्षा बलों द्वारा उठाए गए कदम
मानसिक स्वास्थ्य की अहमियत को समझते हुए सरकार और CRPF ने कई नई योजनाएं शुरू की हैं। इन योजनाओं में जवानों को काउंसलिंग और नियमित छुट्टी देने की व्यवस्था भी शामिल है।
7. क्या करें जवानों की सुरक्षा के लिए?
जवानों को मानसिक स्वास्थ्य सेवा के साथ परिवार के संपर्क में रहने के अवसर मिलना चाहिए। सुरक्षा बलों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जवानों को एक सुरक्षित और सहायक माहौल प्राप्त हो।
8. समाज की भूमिका: जागरूकता और सहानुभूति
समाज को भी इन सुरक्षा बलों के प्रति संवेदनशीलता दिखाने और उनके मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने की जरूरत है। जागरूकता अभियानों के माध्यम से समाज को जागरूक करना जरूरी है।
9. निष्कर्ष: मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना जरूरी
छत्तीसगढ़ में जवानों में आत्महत्या के बढ़ते मामलों से यह स्पष्ट है कि मानसिक स्वास्थ्य की उपेक्षा नहीं की जा सकती। इन जवानों की सुरक्षा केवल उनके कार्यस्थल तक ही सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि उन्हें मानसिक रूप से भी सशक्त बनाना जरूरी है।
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